Menu
blogid : 23122 postid : 1198880

शिक्षित ही समस्या का जनक

सामाजिक मुद्दे
सामाजिक मुद्दे
  • 24 Posts
  • 33 Comments

देश में बढ़ती समस्याओं के लिए पढ़ा लिखा वर्ग ही दोषी है। हालाँकि यह बात आपको अटपटी लग सकती है पर यह सौ फीसदी सच है। देश में पढ़ा लिखा व्यक्ति ही  सिस्टम के सभी उच्च पदों पर विराजमान है ,ऐसे में देश और समाज की उन्नति की जिम्मेदारी इसी वर्ग के कंधो पर है। हमारे देश में जब भी कोई नवयुवक अपनी शिक्षा के अंतिम पायदान पर होता है तो उसका सपना आई ए एस बनकर देश की सेवा करना ही होता है। इंटरव्यू में अक्सर एक सवाल पूंछा जाता है कि आप इस सेवा में क्यों आना चाहते हैं तो हर प्रतिभागी का उत्तर यही होता है कि इस नौकरी में आकर देश और समाज की सेवा करनी है।
    पढ़ा लिखा वर्ग अपने परिवेश में लोगों के लिए आदर्श होता है उसके व्यवहार बोलचाल और व्यक्तित्व का लोग ना सिर्फ अनुसरण करना चाहते है बल्कि अपने पुत्रों को इन लोगों जैसा बनने का उदाहरण दिया जाता है पर यही पढ़ा लिखा वर्ग जब केवल पैसे की तरफ भागता है तो लोगों को यह शिक्षा मिलती है कि पढाई करके पैसा कमाने का रास्ता खुलता है और पढ़ाई का एक मात्र उद्देश्य समाज के उच्च वर्ग की तरह धन कमाना मात्र है।
    गांव के अनपढ़ लोग अपने आस पास के पढ़े लोगों को बहुत आदर और सम्मान की दृष्टि से देखतें है और उनकी उनकी हर बात को बिना किसी तर्क के स्वीकार कर लेते हैं गांव के अनपढ़ वर्ग का यह भोलापन ही पढ़े लोगों की ताकत बन जाता है और इस कमजोरी का फायदा उठाकर पढ़े लोग अपने मन में छिपी कुत्सित भावनाओं की पूर्ति करने का प्रयास करने लगते है। चूँकि गरीब बर्ग भोलेपन से इनकी हर बात को स्वीकार कर लेते हैं ऐसे में इन्हें अपना अभियान चलाने और बढ़ाने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती है।
     आपने शायद ही कभी गौर किया हो कि दुनियाँ के तमाम आतंकबादी संगठन के मुखिया बहुत शिक्षित हैं इनकी डिग्रियां देखकर आपको सहज विश्वाश नहीं होगा कि इतनी शिक्षा पाने के बाद भी कोई आतंकबादी बन सकता है बगदादी लादेन जैसे तमाम आतंकबादी शिक्षा की उच्चतम डिग्रियों के मालिक हैं ऐसे में यह बात कि ,शिक्षा मनुष्य में समझ विकसित कर उसे बुराइयों से दूर रखती है झूठी साबित होती नजर आती है। पिछले एक दशक में भ्रष्टाचार के आरोप में फसे सभी अधिकारी और कर्मचारी शिक्षित ही हैं फिर भी वो भ्रष्टाचार नामक बुराई से दूर नहीं जा सके।
    देश में जितने भी धर्म हैं और उनके धर्म गुरु है अधिकांश शिक्षित हैं भारत के इतिहास में शिक्षा का दायित्व ब्राम्हण , मौलवी इत्यादि के हाँथ में था और यही ब्राम्हण, मौलवी आदि बाद में आजादी में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आये जिन्होंने अपनी शिक्षा और बातों की दम पर लोगों में साहस पैदा किया और लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए तैयार किया पर शांति काल में जब शिक्षित लोगों का चिंतन गलत रास्ते पर चला जाता है तब यही शिक्षित वर्ग समाज में कई बुराइयों के वाहक के रूप में काम करने लगते हैं। आप पायेगे कि सभी राजनैतिक दल पहले राष्ट्रीयता से प्रेरित थे आजादी के बाद उनमे विखराव प्रारम्भ हुआ और हर बार नए संगठन के पीछे किसी ना किसी बुद्धजीवी बैचारिक का हाँथ था। कालान्तर में जब अगड़ा पिछड़ा और दलित की राजनीति प्रारम्भ हुयी तो उस राजनीति को हवा देने का कार्य भी उस वर्ग के शिक्षित लोगों ने ही किया। आज भी समाज को वर्गों में बांटे रखने के लिए उचित तर्क और साहित्य बुद्धजीवी शिक्षित वर्ग ही उपलब्ध करवाता है और सोशल मीडिया के माध्यम से अपने जाति विशेष के बनाये ग्रुप में प्रसारित करता है। विभिन्न सरकारी और राजनैतिक पदों पर कब्जा करने बाले ज्यादातर बुद्धजीवी किसी वर्ग विशेष के तगड़े हिमायती होते हैं और उस वर्ग के लोग उन्हें अपने विरादरी का रोल मॉडल मानकर उनके पीछे चल पड़ते है। समाज में प्रतिपल बढ़ते जातिवर्ग और वैचारिक वर्ग बुद्धजीवियों की ही देन है।
समाज के शोषण में भी इन्ही शिक्षित लोगों का हाँथ होता है क्योंकि समाज में जनता के हितों से जुडी सभी योजनाओं और सभी विभागों में यही शिक्षित लोग मुख्य कार्यकारी भूमिका में होते हैं अतः इन योजनाओं के लागू ना हो पाने की पूरी जिम्मेदारी भी इन्ही की है। कुल मिलाकर शिक्षा समाज की समस्याओं के निस्तारण की बजाय समाज में आधिपत्य स्थापित कर राजसी सुख अर्जित करने का एक साधन मात्र बन चुकी है और शिक्षित होने का एक मात्र अर्थ आर्थिक रूप से समृद्धि हांसिल करना भर रह गया है।
अवनीन्द्र सिंह जादौन

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh